जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
जयशंकर प्रसाद का बचपन
जयशंकर प्रसाद को बचपन में झारखंडी कहा जाता था . इन्होने बचपन से ही कवितायेँ लिखना शुरू कर दी थी. सन् 1900 में इनके पिता देवी प्रसाद जी का देहांत हो गया था . उस समय जयशंकर प्रसाद जी मात्र 11 वर्ष के थे . सन् 1905 में इनकी माता मुन्नी देवी जी का भी देहांत हो गया . इनके बड़े भाई सम्भुरत्न ने इन्हें सहारा दिया लेकिन अफ़सोस इनके बड़े भाई भी सन् 1907 में इन्हें छोड़कर दुनिया से चले गए .
उस समय इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी क्योंकि इनके पिता एक दानवीर के रूप में भी जाने जाते थे . तो उन्होंने अपना बहुत कुछ धन गरीबों में दान कर दिया था . इसलिए जयशंकर प्रसाद ने बहुत जल्दी अपनी जिम्मेदारियो को संभाल लिया था . लेकिन वे बचपन से ही बड़े हंसमुख और सरल स्वाभाव के व्यक्ति रहे थे . हालाँकि इन्होने अपने जीवन में काफी दुःख का सामना किया है .
जयशंकर प्रसाद की शिक्षा
जयशकर प्रसाद की विद्यालय में शिक्षा ज्यादा नहीं हुई थी लेकिन फिर भी उन्होंने स्यंव बहुत सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया था . राजकीय क्वींस इंटर कॉलेज वाराणसी से इन्होने कक्षा 7 तक पढाई की थी . उसके बाद इनके बड़े भाई सम्भुरत्न ने इनकी पढाई लिखाई का इंतजाम घर पर ही कर दिया था . फिर इन्होने घर पर ही वेद, पुराण, उपनिषद, काव्यशास्त्र आदि का गहन अध्ययन किया . इसी अध्ययन की वजह से आगे चलकर इन्होने अपनी रचनाओ में इनका आधार बनाया .
मोहिनीलाल गुप्त जी, जयशंकर प्रसाद जी के पहले गुरु माने जाते हैं . क्योंकि इन्होने मात्र 9 वर्ष की आयु में अपनी पहली रचना मोहिनीलाल गुप्त को सुनाई थी . इनके अलावा गुरु गोपाल बाबा, हरिहर महाराज आदि से भी इन्होने शिक्षा प्राप्त की थी .
जयशंकर प्रसाद ने अपनी काव्यरचना की शुरुआत ब्रजभाषा में की थी . लेकिन बाद में समय के साथ साथ इन्होने खड़ी बोली का भी इस्तेमाल किया और फिर ज्यदातर इनकी रचनाएँ खड़ी बोली में देखने को मिली . इनकी भाषा शैली ब्रजभाषा में परम्परागत शैली, खड़ी बोली और छायावाद में रहस्यवादी शैली देखने को मिलती है .
जयशंकर प्रसाद का वैवाहिक जीवन
जयशंकर प्रसाद की तीन शादियाँ हुई थीं . कहा जाता है कि कुछ चीजें इन्सान के हाथ में नहीं होती बल्कि उसके भाग्य में लिखी होती हैं, यही इनके साथ हुआ था . इनका पहला विवाह सन् 1909 में विंध्यवासिनी देवी के साथ हुआ था . और मात्र विवाह के 7 साल बाद इनकी पहली पत्नी का बीमारी में कारण देहांत हो गया . इसके एक साल बाद इन्होने सरस्वती देवी से दूसरा विवाह कर लिया लेकिन विवाह के कुछ वर्ष बाद इनका भी देहांत हो गया . इस तरह एक बार फिर इनके जीवन में अन्धकार छा गया . वैसे तो इन्होने अब तीसरी शादी न करने का फैसला लिया था . लेकिन इनके मित्र और इनकी भाभी के ज्यादा जोर देने पर एक बार फिर यह विवाह के लिए तैयार हो गए . और सन् 1921 में इनका तीसरा विवाह कमला देवी के साथ हुआ . इनकी तीसरी पत्नी से ही इन्हें मात्र एक पुत्र प्राप्त हुआ जिनका नाम रत्नशंकर था .
जयशंकर प्रसाद का साहित्य परिचय
जयशंकर प्रसाद की पहली कविता “सावन पंचक” है जिसका प्रकाशन 1906 में भारतेंदु पत्रिका में हुआ था . यह प्रकाशन जयशंकर प्रसाद नाम से नहीं बल्कि इनके उपनाम “कलाधर” नाम से हुआ था . क्योंकि यह अपनी रचनाएँ इसी नाम से लिखते थे . इसके बाद इन्होने एक के बाद एक नाटक, कहानी, कविता, निबंध आदि लिखते चले गए . इनका एक महाकाव्य “कामायनी” बहुत प्रसिद्ध हुआ .
जयशंकर प्रसाद की दो रचनाएँ
.स. |
कविता |
नाटक |
उपन्यास |
कहानी |
निबंध |
1 |
वन मिलन |
सज्जन |
कंकाल |
ग्राम |
रंगमंच |
2 |
प्रेम राज्य |
राज्यश्री |
तितली |
आँधी |
काव्य और कला |